पटना का संजय गांधी जैविक उद्यान

नाम है संजय गांधी जैविक उद्यान....
सच में ये एक वृहत बागीचा ही है...या फिर एक छोटा सा जंगल....

पटना की साँसे इसी से चलती हैं....ये न हो तो इस प्राचीन नगर का दम घुट जाएगा...पक्का..

अंदर एक चिड़ियाघर भी है, साँपघर और मछलीघर भी है.....हालांकि जहां जानवर ज्यादा हो, उसे चिड़ियाघर क्यों कहते, मेरी समझ के बाहर है....(कोई मेरे ज्ञान में वृद्धि कर दे प्लीज)

खैर, मेरी बेटू को तो मछलीघर बेहद पसंद आया...पूरे समय गाती रही-" मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है..."

मैं भी देख रही थी अक्वेरियम में बंद उन मासूम सी आँखोंवालियों को... ताल, तलैया, नदी, समंदर से बिलकुल अलग है ये पानी...क्या यह  भी उनका जीवन है? ... कहाँ स्वतंत्रता की अठखेलियां....बहते चले जाने का सुख...कहा कुछ वर्गफुट में कैद , ठहरे हुए पानी में रुक जाने की मजबूरी..
(सॉरी, यह शुद्ध भावना है)

हालांकि मुझे इसकी हरियाली भा गयी...यहाँ कई प्रकार के पेड़-पौधे हैं...उन्हें पूरी तरह निरखने में घंटो लग जाएं...इसीलिये ऐसी जगहों पर अकेले जाना बेहतर या किसी ऐसे साथी के साथ जो आपकी तरह ही पक्का घुमक्कड़ हो...
(परिवार का साथ बहुत अच्छा लगता है पर यायावर मन को संतुष्ट करने में समय लगता है)

झील के किनारे पहुँचने पर लग रहा था कि ये जगह पटना की नहीं...कही पहाड़-वहाड़ पर चले आए हैं घूमने...बीच में विशाल फव्वारे लगे थे...बोटिंग का मन हो आया...पर घड़ी की टिक- टिक इतनी तेज थी कि भागना पड़ा...

जो सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है वो ये कि इस शानदार उद्यान की परिकल्पना बिहार के पूर्व  राज्यपाल नित्यानंद कानूनगो के कारण यथार्थ में तब्दील हुई...

राज्यपाल एक राजनैतिक पद माना जाता है...केंद्र-राज्य विवाद का एक प्रमुख कारण भी.....पर यहाँ यह पद एक शहर को ऑक्सीजन देने का हेतु बन गया...माननीय राज्यपाल ने 1970 में राजभवन की भूमि का ही एक भाग इस महती कार्य हेतु दे दिया....1973 में यह नागरिकों के लिए खोल दिया गया...

धन्यवाद सर...
आपने शायद उस समय ही भांप लिया था कि आनेवाले समय में पटना मात्र कंक्रीट के ढेर में बदल जाएगा...चारो ओर शोर, प्रदुषण ही होगा....राहत मिलेगी तो बस इसी उद्यान में...

बहुत सी कमियां होंगी यहाँ...सब जगह होती हैं...पर मुझे खूबसूरती ज्यादा दिखी ....मेरा मन अभी संतुष्ट नहीं...तो मौका मिला और 'जान' बची रही तो कुछेक बार जरूर जाउंगी वहाँ...
---स्वयंबरा



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