आत्महत्या क्यूँ?



जिंदगी सबसे बड़ी चीज़ है....बाकि सब इसके बाद...
तो कोई यूँ ही नहीं आत्महत्या कर लेता...
ये बस आख़री दांव होता है ....सारे दुःखों से निजात पाने का....
उस इंसान को पलायनवादी, स्वार्थी मानकर भर्त्सना की जा सकती है पर यह सूचक है हमारे 'स्वार्थी' हुए जा रहे समाज का भी.....जो या तो अनभिज्ञ रहता है या अनदेखा करता है...कभी कभी तो क्रूर भी हो जाता है..
असल में जब जूझने की क्षमता चूक जाती है...सब कुछ नियंत्रण से बाहर हो जाता है तब इंसान ऐसा कदम उठाता है...
सबकी अपनी क्षमता होती है ....सभी अपने-आप अपनी यातनाओं से उबर नहीं पाते....ऐसे लोगों को मदद की दरकार होती है....
मुझे उस इंसान से हमदर्दी है ....कि उसके आस पास कोइ भी ऐसा नहीं रहा जो उसे तनाव से बाहर निकलने में सहयोग कर सके?....
आशा साहनी फिर ये....दोनों ही अकेलेपन के कारण हुए हादसे हैं....जाने हम किस समाज का निर्माण कर रहे जहां लोग अभिशप्त है अकेले रहने को...
---swayambara

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