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Showing posts from 2014

जाड़े की धूप

दरद न जाने कोए .....

था एक धनुर्धर राम

लडकी

उर्मिला कौल : कुछ यादे

मेरे तुम !

किस गांव की बात करते हो जी ?

नेताजी भाई नेताजी

साँझ नही प्रतिबिम्ब है मेरा

खेतो से दूर होते हम